हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया के उस्ताद हुज्जतुल इस्लाम इनायत अताई कोज़ानी ने कहा कि अगर ज़ुहूर की विशेषताओं से संबंधित हदीसों और अक़्ली दलीलों पर ग़ौर किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि तरबियत सामूहिक और सर्वांगीण होनी चाहिए, न कि केवल घर बैठकर किया जाने वाला कोई व्यक्तिगत अमल।
उस्ताद हौज़ा ए इल्मिया ने इमाम ज़माना अ.ज. के सहायकों के वर्णन में “उली क़ुव्वत” (शक्तिशाली लोग) शब्द की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति इस बात का संकेत है कि ज़ुहूर से पहले एक शक्तिशाली और तैयार समाज का अस्तित्व में आना आवश्यक है।
इमाम ज़माना अ.ज.के वैश्विक क़ियाम का समर्थन करने के लिए रक्षा, तकनीक और लॉजिस्टिक्स के लिह़ाज़ से मज़बूत देश की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले युद्ध इलेक्ट्रॉनिक और सॉफ्ट वार के रूप में होंगे, इसलिए ‘मुन्तज़िर’ समाज को इन क्षेत्रों में मुक़ाबला करने की क्षमता हासिल करनी चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम अताई ने इमाम (अ.ज.) के साथ उनके सहायकों की ईमानी और नैतिक सामंजस्य पर ज़ोर देते हुए कहा कि इमाम ज़माना (अ.ज.) के सिपाहियों को अपने व्यक्तित्व में “इंसान-ए-कामिल” के क़रीब होना चाहिए, ताकि वे उनके आदेशों को सही ढंग से लागू कर सकें।यह सामंजस्य सामूहिक हमदर्दी और ज़िम्मेदारी पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि हदीसों में स्पष्ट रूप से बयान हुआ है कि हज़रत इमाम ज़माना (अ.ज.) के साथी एक-दूसरे के बारे में और दुनिया के मज़लूमों के बारे में हमेशा फ़िक्रमंद रहते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान की चिंता करते हैं।
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